SECTION 41 IPC - Indian Penal Code - "Special law"

IPC Section 41

Description of IPC Section 41

According to section 41 of Indian penal code, A ?special law? is a law applicable to a particular subject.

आईपीसी की धारा 41 क्या है

विशेष विधि
विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार,

"विशेष विधि" वो विधि है जो किसी विशिष्ट विषय को लागु हो।

क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 41?
भारतीय दंड संहिता की धारा 41 का तात्पर्य किसी विशेष विधि या कानून से होता है, जो कि किसी विशेष विषय पर लागु होता है, जैसे कोई ऐसा विषय है, जिस पर भारतीय दंड संहिता की कोई भी धारा लागू नहीं हो पा रही है, तो ऐसी स्तिथि में मामले को निपटाने के लिए न्यायालय किसी अन्य कानून या विधि का सहारा लेती है, तो वो भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार ही होता है।

धारा 41 के लिए आवश्यक तत्व
यह विशेष प्रकार की धारा है, जो कि भारतीय दंड संहिता में निहित है, इस धारा के आवश्यक तत्वों में केवल यह ही है, कि किसी विशेष मामले के निपटान के लिए किसी अन्य कानून का सहारा लिया जाना। जब न्यायालय किसी ऐसे मामले को निपटाने का कार्य करती है, जिसकी विधि भारतीय दंड संहिता के अतिरिक्त किसी अन्य कानून में दी गयी हो, तो वह अन्य कानून भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार ही प्रयोग में लायी जाती है।

धारा 41 के तहत सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा किसी अन्य कानून का सहारा लेने के लिए होती है, खासकर जब किसी विशेष मामले का निपटारा किया जाता है, तो इस धारा में किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, इसके अतिरिक्त इस धारा के अनुसार सजा वही हो सकती है, जो उस विशेष मामले के निपटान के लिए प्रयोग किये जाने वाले कानून में निर्धारित हो।

धारा 41 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
भारतीय दंड संहिता में धारा 41 का अपराध किसी अन्य कानून के अनुसार बहुत ही गंभीर और बड़ा भी हो सकता है, क्योंकि इस धारा के अनुसार किसी अन्य कानून का सहारा लिया जाता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को उसी नए कानून के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो सकता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना भी बहुत ही कठिन हो सकता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि उसे भारतीय दंड संहिता के साथ - साथ उस अन्य विधि के प्रावधानों का ज्ञान होता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार किसी विशेष मामले में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 41 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

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